17 फ़रवरी, 2022 को दिल्ली में सड़क दुर्घटना में पूर्णिया के एक आदमी की मृत्यु होती है। 21 फ़रवरी को उसके परिवार और गाँव वाले कार्यालय आकर बताते हैं कि शववाहन का किराया देने की स्थिति नहीं होने के कारण dead body दिल्ली में ही है।
ख़ैर भुगतान की व्यवस्था कराने पर आख़िरकार शव कल 23 फ़रवरी को गाँव पहुँच गया, पर उस परिवार की बेबसी को कैसे व्यक्त किया जा सकता है जिसका कमाऊ सदस्य अकाल मारा गया और ग़रीबी इतनी कि शव तक को लाने में 6 दिन लग गए।
ठीक है कि असमानता को समाप्त करने की बात यूटोपिअन है, पर मृत्यु में भी गरिमा न दिला सके, समाज और व्यवस्था का ऐसा भी क्या हासिल।
शर्मनाक
ReplyDelete