कितने दफ़े
बुरे सपनों के दौरान
सहसा टूटी नींद ने तसल्ली बख्शी है
पर अब जबकि दुस्वप्न का दौर
खींचता जा रहा बदस्तूर
सुबह, अपने साथ खालीपन लाती है,
तसल्ली नहीं।
अस्पताल के वेटिंग रूम में
जबकि हर शख्स है भयभीत
सहमा- सा,
देखा है मैंने सबको अनायास
एक दूजे का ग़म साझा करते।
यूं तो सामान्यतया
हर ग़मज़दा इंसान
पाता है अपने ग़म को सबसे बीहड़,
अस्पताल के अंदर दुनियावी तहरीरें
काम नहीं करती हू-ब-हू,
यहां दर्द मापने का कोई स्केल नहीं होता।
वेटिंग रूम में
तकलीफ़ और आशंका की परछाई के बीच
उनींदी आंखें
रोज रात का दुर्गम सफ़र तय करती हैं।
सहसा भोर का सन्नाटा
कोरीडोर में गूंज रही चीत्कारों से
टूटता है और
मन भले ही उस सत्य का
सामना करने में पाता हो
ख़ुद को असमर्थ,
बुद्धि सहज ही भांप लेती है
उम्मीद भरी एक और ज़िन्दगी
बॉडी में तब्दील हो चुकी है।
कई तहों के भीतर
खौफ़ की सिहरन महसूस करते
हम अपनी- अपनी ज़गह पर
और सिमट जाते हैं।
नहीं पाते तहरीरी क़ायदों को
निभाने की ताक़त अपने अंदर।
नहीं जुट पाते सांत्वना के दो शब्द।
आगे का अलक्ष्य फ़ासला
और बीहड़ हो जाता है।
राहुल कुमार
06/12/2018
सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली।
बुरे सपनों के दौरान
सहसा टूटी नींद ने तसल्ली बख्शी है
पर अब जबकि दुस्वप्न का दौर
खींचता जा रहा बदस्तूर
सुबह, अपने साथ खालीपन लाती है,
तसल्ली नहीं।
अस्पताल के वेटिंग रूम में
जबकि हर शख्स है भयभीत
सहमा- सा,
देखा है मैंने सबको अनायास
एक दूजे का ग़म साझा करते।
यूं तो सामान्यतया
हर ग़मज़दा इंसान
पाता है अपने ग़म को सबसे बीहड़,
अस्पताल के अंदर दुनियावी तहरीरें
काम नहीं करती हू-ब-हू,
यहां दर्द मापने का कोई स्केल नहीं होता।
वेटिंग रूम में
तकलीफ़ और आशंका की परछाई के बीच
उनींदी आंखें
रोज रात का दुर्गम सफ़र तय करती हैं।
सहसा भोर का सन्नाटा
कोरीडोर में गूंज रही चीत्कारों से
टूटता है और
मन भले ही उस सत्य का
सामना करने में पाता हो
ख़ुद को असमर्थ,
बुद्धि सहज ही भांप लेती है
उम्मीद भरी एक और ज़िन्दगी
बॉडी में तब्दील हो चुकी है।
कई तहों के भीतर
खौफ़ की सिहरन महसूस करते
हम अपनी- अपनी ज़गह पर
और सिमट जाते हैं।
नहीं पाते तहरीरी क़ायदों को
निभाने की ताक़त अपने अंदर।
नहीं जुट पाते सांत्वना के दो शब्द।
आगे का अलक्ष्य फ़ासला
और बीहड़ हो जाता है।
राहुल कुमार
06/12/2018
सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली।
Bahoot khoob
ReplyDeleteSir bahot achha likhte hai aap
ReplyDeleteGreat thoughts.
ReplyDelete👌
ReplyDeleteRight 👌
ReplyDeleteNice Sir
ReplyDeleteदिल की गहरायी तक जा पहुँचता है ये मार्मिक कविता
ReplyDelete✍सच्चाई लिखी आपने 🙏
ReplyDeleteआपने अपने जीवन में घटित घटनाओं को भाव रूप में
ReplyDeleteपन्ने पर व्यक्त किया है। आपकी रचना अत्यंत श्लाघनीय है।।
वर्तमान हालात पर शायद इससे भी ज्यादा मार्मिक बाते समाहित होती सर, कोरोना काल मे एक नया अनुभव इस लेख में मील जाता।💐
ReplyDeleteई0 शशि रंजन कुमार
9708711601