aawaz
Sunday, 9 March 2025
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लौटना उस शहर को बार-बार जिसने सींचा तराशा और रहने दिया कुछ अनगढ़ा, ताकि गुज़रते बसंत में लौट के आ सकूँ बार-बार।
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Saturday, 15 February 2025
रात और दिन
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रात और दिन ज़ीने से टंके दो झरोखों की तरह, वक़्त की साँकल से खुलते- अनखुलते, एक-दूसरे को ताकती सुरंग, याकि एक इनफिनिटी लूप में गु...
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Sunday, 11 February 2024
अन्दाज़-ए-बयाँ उर्फ़ रवि कथा
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रविवार का दिन और रवि कथा। विगत एक माह में अपने प्रिय कथाकार रवींद्र कालिया के ऊपर परोक्ष-अपरोक्ष यह तीसरा संस्मरण पढ़ रहा हूँ। इसके पहले अ...
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Sunday, 4 February 2024
चक्रव्यूह
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चक्रव्यूह नहीं है कोरी किंवदंती, स्वानुभूति में लगती है लोक की छौंक, और दन्तकथाएँ बनती हैं। महाकाव्य जितनी कवि की सफलता है उतनी ही लोकानु...
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Thursday, 19 October 2023
सांत्वना पुरस्कार
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विगत एक दशक की लोकसेवा में अपनी टीम के प्रयास से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार हासिल करने का अवसर मिला पर आज से बारह वर्ष पूर्व मि...
Sunday, 4 June 2023
दहाड़: क्राफ़्ट और किरदार
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दहाड़ सीरीज़ देखते हुए सबसे पहले जो बात खींचती है , वह है उसका क्राफ़्ट। इसकी मिस्ट्री सुरेंद्र मोहन पाठक या वेद प्रका...
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Friday, 14 April 2023
पुल
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न होते पुल तो दूरियाँ कैसे मिटतीं कैसे जुड़ते नदी के सिरे लोगों के दिल सेनाएँ कैसे होतीं पार। इतना कुछ होने के लिए नदियों को तो सहना ही ...
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