aawaz
Friday, 14 April 2023
पुल
न होते पुल तो दूरियाँ कैसे मिटतीं कैसे जुड़ते नदी के सिरे लोगों के दिल सेनाएँ कैसे होतीं पार।
इतना कुछ होने के लिए नदियों को तो सहना ही था अपनी छाती पर वजन धाराओं को बदलनी थी दिशा। लाज़िम था धातुई ठोसता और तरल प्रवाह मान ले एक-दूसरे का सहकार।
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